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300+ (हिंदी कविता संग्रह)

नमस्ते !

श्रीमती अनिता अग्रवाल

(कवयित्री)

|| सम्पादकीय ||

अपने चारों तरफ विश्वपटल पर दिखायी देने वाली समाजिक विकृतियां , विसंगतियां हिंसक प्रवृतियां , सबकुछ पा लेने की व्याकुलता और तात्कालिता की लालसा में किसी भी हद को पार करलेने या हद से गिर जाने से भी गुरेज न करने की बयार में हमारा समाजिक सांस्कृतिक वातावरण जिस तरह उथल- पुथल से गुजर रहा है और जनजीवन में लोक -चेतना के क्षरण के साथ साथ जो अस्त -व्यस्तता पैदा हुई है | विवाह और परिवार नामक संस्थाओं का स्वरूप जिस तरह हाशिये पर दिखायी दे रहा है | विघटन अपने विकराल रूप में मुँह बाए खड़ा है | हम अपनी - अपनी समस्याओं में इतने फंसे हुयें है कि सामाजिक ढाँचे और सामाजिक संरचना में अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं | इस प्रसंग में कुछ रचनात्मक करने की और उसके लिये शब्द का सहारा लेने की सृजन धर्मा कोशिश ही मेरा इरादा है मैं अपनी रचनाओं को इस कोशिश का अनुवाद मानती हूँ | अपने समय के हाशिये पर चले गये लोगों की चिंता , मैं अपनी शब्द साधना से करना चाहती हूँ | भारत वर्ष में सर्वाधिक आबादी युवा पीढ़ी की है | कोई भी परिवर्तन और विकास,चेतना का संस्कार या गुणवत्ता का विकास युवा पीढ़ी की सृजनात्मकता व सक्रियता पर निर्भर है | उनसे मुखातिब होना और एक संवाद कायम करना मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है |


पुरस्कार और पहचान

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